आने वाला समय मीडिया के लिए चुनौती भरा होगा रू प्रोफेसर सच्चिदानंद जोशी

आने वाला समय मीडिया के लिए चुनौती भरा होगा रू प्रोफेसर सच्चिदानंद जोशी

दी न्यूज़ एशिया समाचार सेवा ।

आने वाला समय मीडिया के लिए चुनौती भरा होगा रू प्रोफेसर सच्चिदानंद जोशी

. सत्य ही मीडिया का साथ देगा

. सूचना का अंबार लोगों को कर रहा दिग्भ्रमित

मेरठ। आने वाला समय मीडिया के लिए चुनौती होगा केवल सत्य ही मीडिया का साथ देगा क्योंकि यह नैरेटिव की लड़ाई है यहां पर समाज को देखने के लिए प्रेरित किया जाता है मीडिया और डॉक्टर का समाज में एक ही प्रकार है सूचना का अंबार होने के कारण वह समाज को दिग्भ्रमित करने का काम कर रहा है। यह बात तिलक पत्रकारिता एवं जनसंचार स्कूल वह विश्व संवाद केंद्र मेरठ के संयुक्त तत्वधान में हिंदी पत्रकारिता दिवस नारद जयंती के उपलक्ष में आयोजित कार्यक्रम के दौरान मुख्य अतिथि भारत सरकार के इंदिया गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के सचिव, साहित्यकार, पत्रकार एवं शिक्षाविद, कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विश्वविद्यालय के दो बार कुलपति, भारतीय संसद के नक्शे एवं इसमें सिंगोल स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभारने वाले प्रोफेसर सच्चिदानंद जोशी ने कही।

उन्होंने कहा कि जिस प्रकार समाज में चिकित्सक का सम्मान है उसी प्रकार से पत्रकारों का सम्मान मिलना चाहिए। पत्रकारिता को सम्मान के लिए अत्यंत उपयोगी बताते हुए कहा कि समाज का दर्पण सशक्त होना चाहिए। पत्रकारिता अन्य कार्यो की तरह 10 से 05 की नौकरी की औश्र फिर जिम्मेदारी समाप्त, पत्रकारिता 247 की जिम्मेदारी है। उन्होंने सभी सम्मानित होने वाले पत्रकारों को भी बधाई एवं शुभकामना दी।  लिखे हुए शब्द वाक्य और बोल की जो कीमत है वह कहीं भी नहीं है पत्रकारिता की नौकरी चौबीस घंटे की है। यह मिशनरी प्रोफेशन है यह केवल धन अर्जन करने का काम नहीं बल्कि समाज को दिशा देने की जिम्मेदारी है। मीडिया पर समाज का विश्वास आज भी है इसलिए यह केवल डिग्री नहीं है, बल्कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है। 

प्रांत प्रचार प्रमुख सुरेंद्र सिंह ने कहा कि 30 मई अट्ठारह सौ छब्बीस को उदंड मार्तंड प्रकाशित हुआ था वैसे 23 मई को नारद जयंती थी उसी दिन इसका प्रकाशन हुआ और इसी दिन को हिंदी पत्रकारिता दिवस के रूप में मनाया जाने लगा हमारे देश में संस्कृति की विशेषता यह है कि हर क्षेत्र का अपना एक आराध्य या आदर्श व्यक्ति होता है नारद जी हिंदी पत्रकारिता के आराध्य माने जाते हैं नारद जी की छवि फिल्मों में विदूषक के रूप में प्रदर्शित की जाती है जो की पूरी तरह गलत है क्योंकि नारद जी फिल्मों की नहीं बल्कि शास्त्रों से है हम नाराज जी की भूमिका को रामायण और महाभारत से देख सकते हैं वाल्मीकि जी को रामायण लिखने की प्रेरणा देने वाले भी नाराज जी थे नारद जी ने शासन और प्रशासन कैसा हो इसका भी ज्ञान दिया उनका कहना था कि राजा के गुप्तचर सैनिक कैसे हो इसका राजा को ख्याल रखना चाहिए जो राजा अधिक कर वसूल करता है समाज की दृष्टि उसे नहीं देखती उन्होंने कहा कि संवाद की परंपरा का नाम नारद है संवाद के काम को करने वाला ही नारद कहलाए पत्रकार को निष्पक्ष होना चाहिए लोकहित के काम करना ही पत्रकारिता का मुख्य उद्देश्य है।

कला संकाय अध्यक्ष प्रोफेसर नवीन चंद लोहानी ने कहा कि 30 वर्षों में पत्रकारिता की छटा बदली है समाचारों का एकत्रीकरण प्रस्तुतीकरण का तरीका भी बदल गया है सोशल मीडिया सामाजिक राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय फलक पर अपनी पहचान बना रहा है यही पत्रकारिता का बदलता हुआ स्वरूप है मिशन से निकलकर प्रोफेशन से होती हुई पत्रकारिता आज बाजार पर नियंत्रण ही नहीं वरन उस का संचालन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। महापौर हरिकांत अहलूवालिया ने कहा कि भारतीय संस्कृति की विरासत को लोगों तक पहुंचाने में पत्रकारिता महत्वपूर्ण भूमिका निर्वहन कर रही है पत्रकारिता के संवाहकों को ऐसे प्रयास करने चाहिए वे उच्च मानदंड स्थापित करते हुए समाज और देश को दिशा देने में सफल हो सके।

तिलक पत्रकारिता एवं जनसंचार स्कूल के निदेशक प्रोफेसर प्रशांत कुमार ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया कार्यक्रम का संचालन छात्र कपिल तथा छात्रा दीक्षा धामा ने किया।

इस अवसर पर विश्व संवाद न्यास के अध्यक्ष श्याम बिहारी, लोक गायिका नीता गुप्ता, प्रो0 रूप नारायण, डॉ मनोज कुमार श्रीवास्तव, डॉ0 यश्वेंद्र, डॉ0 नीरज सिंघल, डॉ0 अश्वनी शर्मा, नेहा कक्कर, शरद व्यास, संजीव गर्ग, सुमंत कुमार, विशाल शर्मा, राजन कमार, पंकज कुमार आदि मौजूद रहे।

यह हुए सम्मानित 

रोहताश सिंह - प्रिंट मीडिया 

ज्ञानेश्वर सिंह - फोटोग्राफर

अविनाश त्रिपाठी - सोशल मीडिया

लव कुमार सिंह - मीडिया शिक्षक 

प्रोत्साहन पुरस्कार

नरेंद्र सिंह टोंक - पत्र लेखन 

सावन कनौजिया - यूटयूब