मणिपुर में फसाद पर विवाद

मणिपुर में फसाद पर विवाद

दी न्यूज़ एशिया समाचार सेवा।

मणिपुर में फसाद पर विवाद

- कुलदीप चंद अग्निहोत्री
मणिपुर में कूकी समुदाय और मैतेयी समुदाय के बीच का फसाद समाप्त होने का नाम नहीं ले रहा। दंगे के पीछे का कारण जानने के लिए जरूरी है कि मणिपुर में दोनों के बीच के संबंध जान लिए जाएं। मणिपुर का क्षेत्रफल 22327 वर्ग किलोमीटर है। इनमें से घाटी का हिस्सा दस प्रतिशत के लगभग है और शेष 90 फीसदी पहाड़ी क्षेत्र है। लेकिन राज्य की 60 प्रतिशत जनता घाटी में रहती है और शेष चालीस प्रतिशत जनता पहाड़ में रहती है। घाटी में रहने वाले लोग मैतेयी कहे जाते हैं और वे आस्था से वैष्णव सम्प्रदाय को मानने वाले हैं। पहाड़ में कूकी और नागा दो समुदायों के लोग रहते हैं। इन दोनों समुदायों के लोगों को भारत सरकार ने जनजाति का दर्जा दिया हुआ है।
जनजाति के समुदायों के लोगों की संस्कृति और आर्थिक हितों की रक्षा के लिए कानून है कि कोई भी मैतेयी पहाड़ में जमीन नहीं खरीद सकता। लेकिन कूकी व नागा समुदाय के लोग घाटी में जमीन खरीद सकते हैं। खाते-पीते परिवारों के कूकी और नागा इम्फाल में आकर बसते रहते हैं। वैसे भी पहाड़ का जीवन थोड़ा कठिन तो होता ही है।