ख़राब जीवनशैली के चलते अधिकांश लोग किडनी की समस्याओं से ग्रेषित - डा अमित 

ख़राब जीवनशैली के चलते अधिकांश लोग किडनी की समस्याओं से ग्रेषित - डा अमित 

दी न्यूज़ एशिया समाचार सेवा।

ख़राब जीवनशैली के चलते अधिकांश लोग किडनी की समस्याओं से ग्रेषित - डा अमित 

मेरठ। भारत में हर साल करीब 12000 से अधिक किडनी ट्रांसप्लांट हो रहे है और ख़राब जीवनशैली के चलते अधिकांश लोग किडनी की समस्याओं से ग्रषित है। ट्रांसप्लांट एक सफल प्रक्रिया है और ट्रांसप्लांट की मदद से मरीजों को नई जिंदगी प्रदान की जाती है लेकिन अभी भी यह देखा गया है की लोगों के बीच किडनी दान करने को लेकर जागरूकता की बहुत कमी है जिसके चलते बहुत लोग अपनी जान दांव पे लगा देते है। जब किडनी की कार्यक्षमता केवल 10 प्रतिशत रह जाती है तो उस अवस्था को किडनी फैल्योर कहते हैं और ऐसे में मरीजों के पास सिर्फ डायलिसिस या प्रत्यारोपण का ही रास्ता बच जाता है। ये बात जेपी हाॅस्पिटल के डा.  अमित के देवड़ा ने कहा।  

 उन्होंने बताया  भारत में हर साल करीब 12000 से अधिक किडनी ट्रांसप्लांट हो रहे है और ख़राब जीवनशैली के चलते अधिकांश लोग किडनी की समस्याओं से ग्रषित है। ट्रांसप्लांट एक सफल प्रक्रिया है और ट्रांसप्लांट की मदद से मरीजों को नई जिंदगी प्रदान की जाती है लेकिन अभी भी यह देखा गया है की लोगों के बीच किडनी दान करने को लेकर जागरूकता की बहुत कमी है जिसके चलते बहुत लोग अपनी जान दांव पे लगा देते है। जब किडनी की कार्यक्षमता केवल 10 प्रतिशत रह जाती है तो उस अवस्था को किडनी फैल्योर कहते हैं और ऐसे में मरीजों के पास सिर्फ डायलिसिस या प्रत्यारोपण का ही रास्ता बच जाता है। उन्होंने बताया अस्पताल  अब तक 1030 किडनी ट्रासप्लांट कर चुकी है। जिसमें अधिकतर पैतालीस वर्ष से नीच व पैतालीस वर्ष वर्ष ऊपर वाले है। उन्होंने बताया कि मरीजों को अब किडनी प्रत्यारोपण के लिए अधिक परेशान होने की जरूरत नहीं है  हॉस्पिटल में किडनी प्रत्यारोपण बहुत अत्याधुनिक पद्धति से किया जा रहा है। इस पद्धति द्वारा दाता (डोनर) की किडनी को दूरबीन द्वारा शरीर से हटाया जाता है, जिसका सबसे अधिक लाभ यह होता है कि दाता (डोनर) को बहुत ही कम तकलीफ होती है और उसे हॉस्पिटल से जल्द छुट्टी मिल जाती है।