तीन माह वेटिलेटर पर रहने के वाले नवजात ने दी मौत को मात 

तीन माह वेटिलेटर पर रहने के वाले नवजात ने दी मौत को मात 
दी न्यूज़ एशिया समाचार सेवा ।
तीन माह वेटिलेटर पर रहने के वाले नवजात ने दी मौत को मात 

 लंबे समय तक वेलिटेर पर रहने वाला नवजात बना 

मेरठ। चिकित्सकों को वैसे ही भगवान नहीं कहां जाताहै। इसको उदाहरण गढरोड स्थित न्यूटिमा हॉस्पिटल के चिकित्सकों ने कर दिखाया है। जहां महिला के प्रीमैचयोर हुए नवजात को तीन माह तक वेटिलेटर पर रख कर उसे नया जीवन दान दिया है। अब नवजात पूरी तरह स्वस्थ  है। 

  मीडिया को जानकारी देते हुए डा. अमित उपाध्याय ने बताया कि मानविक नाम के बच्चे का जन्म मात्र छह माह पहले अस्पताल में हुआ था। यह बच्चा 6 महीने से पहले ही जन्मा। इस बच्चे के दोनों फेफड़े के जन्म से ही बहुत कमजोर थे और बार बार एन में न्यूमोथोरैक्स हो जाता था। यह बच्चा साढ़े तीन महीना वेंटिलेटर पर रहा। उन्होंने बताया कि शायद यह बच्चा इस क्षेत्र में सबसे अधिक वेंटिलेटर पर रहने वाला बच्चा होगा। इतने लंबे समय तक वेंटीलेटर पर रह कर भी बच्चे का शारीरिक एवं मानसिक विकास अच्छा हुआ। उसका वजन बहुत अच्छे से बढ़ा और साढ़े छह महीना एनआयीसीयू में रहने के बाद अस्पताल से छुट्टी की गई। करीब 10 दिन से यह बच्चा घर पर अपने माँ-बाप के साथ है स्वस्थ है और अब इसे ऑक्सीजन लगाने की जरूरत नहीं है एवं वह अपने मुँह से ही दूध पी रहा है। बच्चे की देखने की व सुनने की क्षमता भी ठीक है। कोई परेशानी नहीं है जिसको दिमाग में कोई ब्लीडिंग जैसी बीमारी नहीं है। इसलिए हम ये आशा करते हैं कि यह बच्चा आगे जाका स्वास्थ्य रहेगा। 

 डा  प्रियंका गर्ग ने बताया कि वर्तमान समय में प्री मैच्योर का रेशो तेजी से बढ रहा है। इसका सबसे बडा कारण समय से शादी का न हाेना, कार्य की व्ययस्ता है। एक महिला की शादी केलिए सही उम्र 21साल से 30 वैवाहिक जीवन के लिए ठीक रहता है। पत्रकार वार्ता में बच्चे के माता-पिता, एमडी डा. संदीप गर्ग भी मौजूद रहे।