यज्ञ  हमारी संस्कृति है, उसमें बैठने की विधि सभ्यता :- आचार्य जयेन्द्र शास्त्री

यज्ञ  हमारी संस्कृति है, उसमें बैठने की विधि सभ्यता :-  आचार्य जयेन्द्र शास्त्री

दी न्यूज़ एशिया समाचार सेवा

यज्ञ  हमारी संस्कृति है, उसमें बैठने की विधि सभ्यता :-

आचार्य जयेन्द्र शास्त्री

डी.ए.वी. स्कूल में ऋषि बोधोत्सव का आयोजन
  मेरठ।  वेदों का भाष्य करने वाले युगदृष्टा, आर्यसमाज के संस्थापक महर्षि दयानंद सरस्वती का 200 वाँ बोधोत्सव हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। इस पावन बेला में मुख्य अतिथि के रूप में अश्विनी त्यागी, एम.एल.सी., विशिष्ट अतिथि के रूप में अश्विनी गुप्ता अध्यक्ष क्रीड़ा भारती, कार्यक्रम के अध्यक्ष वीरेंद्र आर्य तथा संयोजक राजेश सेठी, आचार्य इंद्रदेव, आचार्य जयेंद्र,कुलदीप आर्य,आर.पी. सिंह चौधरी, अशोक सुधाकर उपस्थित थे।
कार्यक्रम का शुभारंभ यज्ञ की पवित्र अग्नि को प्रज्वलित कर किया गया। यज्ञ में गणमान्य अतिथि अश्विनी त्यागी (एम.एल.सी.अश्विनी गुप्ता (क्षेत्रीय प्रबंधक क्रीड़ा भारती), दीपक त्यागी (यांत्रिक इंजीनियर, इंडियन एयरफोर्स)विद्यार्थी और अभिभावक उपस्थित थे। यज्ञोपरांत प्राचार्य डॉ. अल्पना शर्मा ने अतिथियों को नव ऊर्जा का प्रतीक नई पौध, स्मृति चिह्नन तथा पुष्प माल भेंट कर उनका अभिनंदन किया। तदोपरांत ऋषि दयानंद जी को श्रद्धा सुमन अर्पित करने के लिए विद्यालय के छात्रों ने 'गा लेभजन, ओम् जप करके नमन, हो जा मगन सुंदर गीत की प्रस्तुति दी।
तत्पश्चात् पं. कुलदीप आर्य के भजनों प्रभु नाम के अमृत रस का जो प्राणी पान करेगा एवं एक तरफ  थी दुनिया सारी ऋषिवर अकेले थे की प्रस्तुति ने सभी को भाव विभोर कर दिया। उनके भजनों ने समस्त श्रोताओं को भक्ति में झूमने के लिए विवश कर दिया।
डॉ. आचार्य जयेन्द्र शास्त्री ने महर्षि दयानंद के पावन जीवन से श्रोताओं को अवगत कराते हुए कहा कि-यज्ञ  हमारी संस्कृति है, उसमें बैठने की विधि सभ्यता है, विनम्रता द्वारा ही विद्याअर्जित की जा सकती है। प्रार्थना जीवन को संवारने का कार्य करती है, सच्चे मन से की गई प्रार्थना जीवन को ऊर्जा प्रदान करती है। कार्यक्रम के अन्तर्गत आर्य की सोच को अग्रज, कैलाश सोनी, सुभाष मल्होत्रा, इंदिरा सिंह, प्रेमलता मक्कर,
अशोक सुधाकर,ज्ञानमु निवान प्रस्थ,किशनलाल कुशवाहा, सत्यबंधु, कर्नल पाल प्रमोद,सरयू प्रसाद पटेल द्वारा अनुज, मनीष शर्मा, अभिनव चौधरी, अमितकान्त,कुशाग्र सिंह,ललितमोहन,विनायक आर्य, स्पश र्मित्तल समर्थ प्रधान, प्रभात कुमार आर्य, अंकुश को दीपो के माध्यम से हस्तांतरित किया गया और इन सभी विद्वज्जनों क ा सम्मान भी किया गया। प्राचार्या डॉ. अल्पना शर्मा ने ऋषि दयानंद सरस्वती को स्मरण करते हुए उनके दिखाए मार्ग का अवलोकन करने की प्रेरणा प्रदान की। उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा कि ऋषि दयानंद सरस्वती आर्यों के पथ-प्रदर्शक थे। जीवन को सकारात्मक दिशा प्रदान करना ही उनके जीवन का ध्येय था।