दी न्यूज एशिया समाचार सेवा
कोर्ट ने नौ जजों की बेंच को याचिका की रेफर
दाऊदी बोहरा समुदाय की बहिष्कार प्रथा का मामला
नई दिल्ली (एजेंसी)।
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को दाऊदी बोहरा समुदाय की बहिष्कार प्रथा के मामले की याचिका को नौ जजों की बेंच को रेफर कर दिया है। जस्टिस संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली पांच जजों की पीठ ने कहा कि नौ जजों की पीठ सबरीमाला मामले पर फैसला देगी तो वही पीठ दाऊदी बोहरा समुदाय की बहिष्कार प्रथा पर भी फैसला दे। पांच जजों की पीठ में जस्टिस संजय किशन कौल के अलावा जस्टिस एएस ओका, जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस जेके माहेश्वरी भी शामिल हैं।
याचिका पर सुनवाई के दौरान दाऊदी बोहरा समुदाय के वकील ने अपील की कि नौ जजों की बेंच सबरीमाला मामले पर फैसला देगी, ऐसे में इस मामले को भी नौ जजों की पीठ को रेफर करने की मांग की। बता दें कि नौ जजों की पीठ केरल के सबरीमाला मंदिर में महिलाओं को एंट्री देने के मुद्दे पर सुनवाई कर रही है। साथ ही पीठ तीन और मामलों पर सुनवाई कर रही है, जिनमें महिला अधिकार और धार्मिक मामलों की प्रैक्टिस के अधिकार पर फैसला होना है।
महाराष्ट्र की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और मामले में एक पक्ष की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील फली नरीमन ने भी मामले को नौ जजों की बेंच को भेजने की मांग की। जिसके बाद कोर्ट ने मामले को नौ जजों की पीठ को भेजने का फैसला किया।
बता दें कि दाऊदी बोहरा, शिया मुसलमानों का एक संप्रदाय है, जिनके सर्वोच्च नेता को समुदाय के नियमों का पालन ना करने वाले लोगों को बहिष्कृत करने का, समाज से निष्कासित करने का अधिकार है। जिससे निष्कासित व्यक्ति को सामुदायिक मस्जिद या कब्रिस्तान के साथ अन्य सुविधाओं से भी वंचित कर दिया जाता है। साल 1986 में सुप्रीम कोर्ट में इस सामाजिक प्रथा को चुनौती दी गई। सुप्रीम कोर्ट इस बात की पड़ताल करेगा कि क्या दाऊदी बोहरा समुदाय में बहिष्कार की प्रथा संविधान के तहत संरक्षित है या नहीं। साथ ही महाराष्ट्र में सामाजिक बहिष्कार संरक्षण कानून के अस्तित्व में आने के बाद क्या दाऊदी बोहरा समुदाय की बहिष्कार प्रथा को जारी रखा जा सकता है या नहीं।