जगदीश मण्डप में चल रही भव्य रासलीला के पंचम दिवस पर पं0 श्री कैलाशचन्द शर्मा के द्वारा सुदामा चरित्र वर्णन

जगदीश मण्डप में चल रही भव्य रासलीला के पंचम दिवस पर पं0 श्री कैलाशचन्द शर्मा के द्वारा सुदामा चरित्र वर्णन

दी न्यूज़ एशिया समाचार सेवा।


 श्री हरि कीर्तन मन्दिर घण्टाघर मेरठ के द्वारा जगदीश मण्डप में चल रही भव्य रासलीला के पंचम दिवस पर पं0 श्री कैलाशचन्द शर्मा के द्वारा सुदामा चरित्र का बहुत रसमयी वर्णन किया गया। विप्र सुदामा बसत है सदा अपने धाम, भिक्षा कर भोजन करें जपै हरी का नाम।। 
 कलाकारों द्वारा किये गये मंचन से पं0 कैलाश जी ने बताया वासुदेव जी ने भगवान कृष्ण को गुरू संदीपनी आश्रम में विद्या लेने के लिये भेजा मार्ग में सुदामा जी को कांटा लगा और कांटे की पीड़ा से वह रोने लगे। जंगल में भगवान ने जब सुदामा जी के रोने की आवाज सुनी तो भगवान उनके पास गये। सुदामा के पाव का कांटा निकाला और सुदामा जी की दीन दशा को देखकर भगवान ने उनको अपना प्रिय मित्र बना लिया।
 भगवान कृष्ण और सुदामा की मित्रता जगजाहिर है। गुरू के श्राप के कारण सुदामा जी को दरिद्रता भोगनी पड़ी। बड़े होने पर अपनी पत्नी के बार-बार निवेदन करने पर सुदामा जी द्वारिकानाथ जी के दर्शन के लिये गये। सुदामा जी का द्वारिकापुरी में भव्य स्वागत हुआ। सुदामा जी ने अपनी पत्नी के द्वारा दिये हुए चावल द्वारकाधीश को अर्पण किये। भगवान श्री कृष्ण ने दो मुट्ठी चावल खाकर दो लोकों की सम्पत्ति सुदामा जी को प्रदान की। यह लीला देखकर दर्शक भाव-विभोर हो गये।
 इस अवसर पर गिरधारी लाल आहूजा, पवन आहूजा, पवन अरोड़ा, नीरज नारंग, धर्मेन्द्र अरोड़ा, हरी कृष्ण अरोड़ा, राजू छाबड़ा, ललित अरोड़ा, तरुण अरोड़ा आदि उपस्थित रहे।