प्रेमचंद की अभिलाषाएं सीमित हैंः प्रो. राजेंद्र कुमार

 प्रेमचंद की अभिलाषाएं सीमित हैंः प्रो. राजेंद्र कुमार

साहित्यिक संस्थाओं ने प्रेमचंद को दी श्रद्धांजलि

 प्रेमचंद की अभिलाषाएं सीमित हैंः प्रो. राजेंद्र कुमार

दी न्यूज़ एशिया समाचार सेवा ।


प्रयागराज (अवनीश यादव)।
इलाहाबाद विश्वविद्यालय के हिंदी एवं आधुनिक भारतीय भाषा विभाग, की ओर से प्रेमचंद जयंती का आयोजन किया गया। इस अवसर पर 'प्रेमचंद होने का अर्थ ' विषय पर  मुख्य वक्तव्य देते हुए वरिष्ठ कवि -आलोचक प्रो. राजेंद्र कुमार ने कहा कि प्रेमचंद को जानने का अर्थ उनके लेखन की समग्रता में है।आज प्रेमचंद को पढ़ाने से ज्यादा पढ़ने की जरूरत है। आज आज़ादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है पर  हमें चिंतन करना चाहिए कि क्या समाज की विषमताएं मिटी? जाति मिटी?
उन्होंने कहा कि आकर्षण का कोई अस्तित्व नहीं, सही अर्थों में हिंदुस्तान को पहचानने की बात फ़िराक के बाद प्रेमचंद ने कही। असली हिंदुस्तान तो गांव में बसता है और प्रेमचंद की रचनाओं की जड़ें भी इसी में हैं। उन्होंने यह भी कहा कि पुरानी शिक्षा- प्रणाली हो चाहे नई शिक्षा प्रणाली , प्रेमचंद  जब भी रखे जाएंगे तो कारपोरेट व्यवस्था का प्रतिपक्ष ही होंगे। किसान को मज़दूर बनाने में तुली हुई व्यवस्था के दौर में  प्रेमचंद को जानने का निहितार्थ उनके रचनात्मक संघर्ष में देखना होगा। उन्होंने यह भी कहा कि केवल कोर्स में लगे प्रेमचंद को ही नहीं पढ़ना देखना है बल्कि बल्कि कोर्स के बाहर में असल जीवन में भी प्रेमचंद को देखना है।
अध्यक्षता कर रहे हिंदी विभाग के अध्यक्ष और आलोचक प्रो. प्रणय कृष्ण ने कहा कि आजादी के आंदोलन और उसके बाद की रस्साकसी के आत्मसंघर्ष को प्रेमचंद ने  पहले ही पहचान लिया था। प्रेमचंद ने सेवासदन और निर्मला जैसे उपन्यासों के जरिए न केवल महिलाओं की समस्याओं  को उकेरा है बल्कि व्यापक महिला पाठकवर्ग भी तैयार किया। प्रेमचंद अपने समय और समाज के सवालों से टकराते हैं।
संचालन  करते हुए डॉ. कुमार वीरेंद्र ने कहा कि प्रेमचंद हर दौर के लिए जरूरी लेखक हैं। धन्यवाद ज्ञापन डॉ. शिवकुमार यादव ने किया। कार्यक्रम के द्वितीय सत्र में डॉ. अमितेश कुमार के निर्देशन में प्रेमचंद की तीन कहानियों - रसिक संपादक, एक्ट्रेस, और यही मेरा वतन है का विभाग के छात्र- छात्राओं द्वारा नाट्य पाठ प्रस्तुत किया।
कार्यक्रम में प्रो. संतोष भदौरिया, प्रो. एस. पी. शुक्ला, डॉ. कल्पना वर्मा, डॉ. अमृता,  डॉ. विनम्र सेन सिंह, डॉ. लक्ष्मण प्रसाद गुप्ता, डॉ. रंजीत सिंह, डॉ. जनार्दन, डॉ. अनिल यादव,डॉ पुनीत कुमार राय,डॉ विकास कुमार,डॉ राजेश गर्ग,प्रवीण शेखर , राजनारायण , अवनीश यादव,पुष्कर शुक्ला सहित विभाग के  छात्र -छात्राएं एवं शोधार्थी बड़ी संख्या में उपस्थित थे।