जयंत को वायरल  बुखार होने पर भाईचारा सम्मेलन हुआ रदद

जयंत को वायरल  बुखार होने पर भाईचारा सम्मेलन हुआ रदद

दी न्यूज एशिया समाचार सेवा 

जयंत को वायरल  बुखार होने पर भाईचारा सम्मेलन हुआ रदद 

पीएल शर्मा स्मारक मैदान पर आयोजित किया जाना था कार्यक्रम 

 मेरठ।  पीएल शर्मा स्मारक मैदान में शनिवार  को आयोजित होने वाला भाई चारा सम्मेलन रालोद के मुखिया जंयत  चौधरी को वायरल बुखार होने के कारण अचानक रदद हो गयी है। मिशन 2024 में जुटी रालोद चुनाव से पहले मेरठ में बड़ी बैठक करने जा रही थी। 

  भाई चारा सम्मेलन की तैयारी करीब पूरी हो चुकी थी। प्रशासन की ओर से बकायदा अनुमति ली जा चुकी है। लेकिन एन वक्त पर रालोद के मुखिया के बीमारी होने से सारी की सारी तैयारी धरी रह गयी। दरअसल, पार्टी अपने पुराने समीकरणों को जिंदा करना चाहती है। 2022 चुनाव में 8 सीटें जीतने वाली रालोद अब वेस्ट यूपी में अपना दलित प्लस मुसलमान का समीकरण गेन करने में जुट गई है। 2013 मुजफ्फरनगर दंगे के बाद वेस्ट यूपी में बिगड़े भाईचारे को पुर्नस्थापित करने निकली है। इसके लिए रालोद पश्चिमी यूपी में भाईचारा सम्मेलनों का प्लान बनाया है।समरसता अभियान के बाद जातीय एकता पर रालोद का यह दूसरा प्रयास है। इसे भाईचारा सम्मेलन नाम दिया है। सम्मेलन वेस्ट यूपी के सभी जिला मुख्यालयों यानि शहर में होगा। उन सभी 12 सीटों पर सम्मेलन होंगे जिन पर रालोद दावेदारी कर रही है। खुद जयंत इन सम्मेलनों की अगुवाई करेंगे। रालोद को हमेशा ग्रामीणों की पार्टी माना जाता है। रालोद की सभाएं, अभियान गांवों की चौपालों तक समिटकर रह जाते हैं। इसलिए पार्टी पहली बार शहरी क्षेत्र में आयोजन करेगी। शहर की जनता से जुड़ेगी। रालोद के वेस्ट यूपी प्रवक्ता आतिर रिजवी कहते हैं कि यूपी में जिस तरह जनता को धर्म, संप्रदाय, जाति में बांटकर विपक्ष राजनीति कर रहा है। नफरत की दीवारें खड़ी की जा रही हैं। रालोद उस खाई को पाटकर भाईचारा कायम करना चाहती है।

दरअसल मुजफ्फरनगर 2013 दंगों ने रालोद के सियासी गणित को बुरी तरह से डैमेज कर दिया। जाट-मुस्लिम का समीकरण पूरी तरह बिखर गया। इसका खामियाजा रालोद को लोकसभा, विधानसभा दोनों चुनावों में उठाना पड़ा। नतीजा रालोद का सूपड़ा साफ होता चला गया। 2019 के लोकसभा चुनाव में मुजफ्फरनगर सीट पर अजीत सिंह चुनाव हार गए। रालोद नेताओं का कहना है कि 2013 से पहले रालोद बहुत मजबूत थी। उसकी वजह भाईचारा था। उसी भाईचारे को दोबारा कायम करने के लिए ये सम्मेलन होगा। बता दें कि 2022 के चुनाव के बाद रालोद के राष्ट्रीय प्रवक्ता संदीप चौधरी ने पीटीआई-भाषा से कहा था कि 2013 के दंगों के बाद वेस्ट यूपी में उभरे सांप्रदायिक विभाजन को पाटने के अपने उद्देश्य में काफी हद तक सफल रहा है। इस बार हमारी सीटों की कुल संख्या में सुधार हुआ है।