सफलतापूर्वक पृथ्वी की कक्षा  में पहुंचा चंद्रयान-3  

सफलतापूर्वक पृथ्वी की कक्षा  में पहुंचा चंद्रयान-3  

दी न्यूज एशिया समाचार सेवा |

सफलतापूर्वक पृथ्वी की कक्षा  में पहुंचा चंद्रयान-3  

3.84 लाख की दूरी , 40 से 50 दिन में खुलेगा चांद का राज 

हरिकोटा ,एजेंसी। भारत के तीसरे चंद्र मिशन चंद्रयान -3 का शुक्रवार को दोपहर 2 बजकर35 मिनट पर  लॉन्च कर दिया गया। इसे आंध्रप्रदेश केसतीश धवन स्पेस सेंटर से छोडा गया। 615 करोड रूपये की लागत से तैयार यह मिशन करीब पचास दिन की यात्रा करने के बाद चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास लैंड करेगा। चंद्रयान-3LVM3-M4 रॉकेट के जरिए चंद्रयान को स्पेस में भेजा गया । अगर दक्षिणी ध्रुव पर लैंडर की सॉफ्ट लैडिंग होती है तो भारत विश्व का पहला देश बन जाएगा । वही ,पीएम मोदी ने ट्ववीट कर शुभकामनाए दी और कहा कि आज का दिन सुनहरे अक्षरों में अंकित होगा ।  इसरो वैज्ञानिकों ने प्रक्षेपण यान से उपग्रह के सफलतापूर्वक अलग होने की घाेषण की । उपग्रह को अब चंन्द्रमा की यात्रा शुरू करने के लिए वांछित कक्षा में स्थापित कर दिया गया है। 

 इसरो चीफ एस सोमनाथ ने इस सक्सेसफुल लॉन्च के बाद कहा कि चंद्रयान 3 ने चंद्रमा की ओर अपनी यात्रा शुरू कर दी है।चंद्रयान-3 स्पेसक्राफ्ट के तीन लैंडर/रोवर और प्रोपल्शन मॉड्यूल हैं। करीब 40 दिन बाद, यानी 23 या 24 अगस्त को लैंडर और रोवर चांद के साउथ पोल पर उतरेंगे। ये दोनों 14 दिन तक चांद पर एक्सपेरिमेंट करेंगे। प्रोपल्शन मॉड्यूल चंद्रमा के ऑर्बिट में रहकर धरती से आने वाले रेडिएशन्स की स्टडी करेगा। मिशन के जरिए इसरो पता लगाएगा कि लूनर सरफेस कितनी सिस्मिक है, सॉइल और डस्ट की स्टडी की जाएगी।

चद्रयान-3 का बजट लगभग 615 करोड़ रुपए है, जबकि हाल ही में आई फिल्म आदिपुरुष की कॉस्ट 700 करोड़ रुपए थी। यानी चंद्रयान-3 इस मूवी की कॉस्ट से करीब 85 करोड़ रुपए सस्ता है। इससे 4 साल पहले भेजे गए चंद्रयान 2 की लागत भी 603 करोड़ रुपए थी। हालांकि, इसकी लॉन्चिंग पर भी 375 करोड़ रुपए खर्च हुए थे।

ऑनलाइन और टीवी पर लाइव लॉन्चिंग देखी गयी 

इसरो की ऑफिशियल वेबसाइट और यूट्यूब चैनल पर चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग लाइव दिखाई गयी। दूरदर्शन पर भी चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग लाइव देखा गया । हर  एक की धडकन बढी हुई थी।जैसे -जैसे घडी की सुई दो बजकर 35 मिनट पर पहुुंची तभी चन्द्रयान -3 असामन की ओर बढ गया। सतीश धवन स्पेस सैंटर में बैठे वैज्ञानिकों का सफलतापूर्वक लाॅचिग पर खुशी का ठिकाना देखा जा सकता था।