झाडू से बन रही मरीजों की रोटियां

झाडू से बन रही मरीजों की रोटियां

दी न्यूज़ एशिया समाचार सेवा ।

झाडू से बन रही मरीजों की रोटियां

. मेडिकल कालेज में रोटी मेकर मशीन खराब

. एक हाथ में झाडू़, पैर में आटे का ढ़ेर सरकारी रसोई में अव्यवस्थाओं की भरमार

मेरठ।सरकारी अस्पतालों में मरीजों को दिए जाने वाले खाने की क्वालिटी हमेशा से ही अपनी खराब क्वालिटी के कारण चर्चा में रहती है। दाल में पानी, कच्ची रोटी सब्जी आम सी बात है। लेकिन शहर के सबसे प्रमुख लाला लाजपत राय  मेडिकल कालेज में तो हजारों मरीजों का खाना जिस तरह बनाया जा रहा है उसे देखकर तो आप खाना खा भी नही पाएंगे। जिस झाडू से आप घर की सफाई करते हैं उस झाडू की मदद रोटियां सेंकने में ली जा रही है।यह हाल तब है जब मेडिकल कालेज की रसोई में लाखों रुपए की आटोमेटिक रोटी मेकर मशीन मौजूद है। जो धूल फांक रही है और रसोई के कर्मचारी रोटियों मे झाडू से धूल फांक रहे हैं।

हम बात करे हैं एलएलआरएम मेडिकल कॉलेज की, जहां पर भर्ती मरीजों के साथ साथ उनके तीमारदारों को हेल्दी डाइट के नाम पर अनहाईजेनिक खाना खिलाया जा रहा है। हम खाने की क्वालिटी की बात नहीं कर रहे बल्कि हम खाना बनाने के तरीके की बात कर रहे हैं। यहां मेडिकल कालेज के हजारों मरीजों की डाइट तैयार करने वाली रसोई में झाडू की मदद से रोटियों का आटा एकत्र किया जाता है। इतना ही नहीं रोटियों के आटे का ढेर में बनाने वाले कर्मचारियों के पैर रखे रहते हैं। रसोई की हालत यह है कि आप अपनी आखों से देखकर खाना पसंद नही करेंगे।

आटोमैटिक मशीन बनी शोपीस

मेडिकल कालेज के किचन का यह हालत तब है जब यहां सीसीटीवी कैमरों से लेकर अत्याधुनिक रोटी मेकर मशीन उपलब्ध है। लेकिन पिछले एक साल से इस मशीन का उपयोग नही हो रहा है। रसोई के कर्मचारियों की मानें तो पॉवर सप्लाई में परेशानी के चलते यह मशीन आने के कुछ समय बाद से ही बंद है जबकि किचन प्रभारी की माने तो मशीन मरीजों की अधिक संख्या के हिसाब से चलाई जाती है।

हर बीमारी की एक ही डाइट

 सरकारी अस्पतालों में वायरल,बुखार, टाइफ ाइड हो या ज्वाइनडिस जैसी बीमारी हो डाइट भी उसी हिसाब से होनी चाहिए। डॉक्टर्स भी कुछ इसी तरह की सलाह देते हैं, लेकिन सरकारी अस्पतालों का तो हाल ही जुदा है। यहां तो सभी बीमारियों के मरीजों को एक ही डाइट दी जा रही है।डाइट भी ऐसी, जिसे खाने से मरीज और भी बीमार हो जाए। मसलन, सूखी रोटी, दाल ऐसी जिसमें सिर्फ पानी ही नजर आए और कोई भी एक सब्जी। हमारा मककद किसी पर ऊंगली उठाना नहीं है। जब सरकार की ओर से मरीजों के पोषण के लिये लाखों रूपया खर्च कर रोटी सेकने की मशीन मंगायी गयी है तो उसका प्रयोग क्यों नहीं किया जा रहा है। जबकि मेडिकल कालेज में बिना कट के बिजली सप्लाई जारी रहती है। 

 इन्होंने कहा :- 

झाडू का प्रयोग मानक के हिसाब से नहीं किया जाना चाहिए। हमने इसके लिए मना भी किया हुआ है, लेकिन कर्मचारी अपनी सुविधा के लिए करते हैं इसकी जांच की जाएगी। बाकि रोटी मेकर मशीन का उपयोग मरीजों की अधिक संख्या होने पर किया जाता है।

. डा.वी डी पांडेय. मेडिकल कालेज किचन प्रभारी