बच्चे को मां का दूध पिलाओ तंदुरुस्त बनाओ

बच्चे को मां का दूध पिलाओ तंदुरुस्त बनाओ

दी न्यूज़ एशिया समाचार सेवा।

बच्चे को मां का दूध पिलाओ तंदुरुस्त बनाओ

मां का दूध शिशु की सुरक्षा का पहला टीका
स्तनपान कराना मां के लिए भी फायदेमंद

 मेरठ । नवजात के जन्म के तुरंत बाद स्तन में जो पहली बार पीले रंग को दूध आता है। ये पहला दूध नवजात शिशु के संरक्षण के लिये जरूरी होता है। ये दूध प्रोटीन व एंटी बॉडी के गुण से भरपूर होता है।  हम बचपन से एक जुमला सुनते आ रहे हैं है कोई माई का लाल जिसने मां का दूध पिया है तो सामने आये चेलेंज करें मैदान में आये इत्यादि। यह वही मां का दूध है जो बच्चे को बचपन से तमाम बीमारियों से लड़ने की ताकत देता है और बड़े होने पर न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक रूप से भी दुरुस्त बनाए रखने में मदद करता है। इसलिए जन्म के तुरंत बाद या एक घंटे के भीतर बच्चे को स्तनपान जरूर करें इसका सभी धात्री माताओं को ध्यान रखना चाहिए। यह बातें न्यूटिमा हॉस्पिटल में डा अमित उपाध्याय ने बे्रस्टफीडिंग वीक पर कही।
 डा अमित उपाध्याय ने बताया कि नवजात को मॉ का दूध डाईजेस्टिव सिस्टेम को बेहतर बनाने में भी बहुत मदद करता है। प्रीमेच्योर बच्चें में एनइसी जैसी जानलेवा बीमारी भी ये कम करता है। प्रीमेच्योर बच्चें के लिये मॉ विशेष दूध बनाती है। जिसमे प्रोटिन फै ट एवं कैल्सियम बहुत ज्यादा होता है। उसकी दिमाग की हडिडयों की ग्रोथ अधित तेजी से होती है। उन्होंने बताया पहले छह माह सिर्फ मॉ का दूध  पिलाने से प्रथम वर्ष में मृत्यु दर १६ प्रतिशत कम हो जाती है। उन्होंने बताया मॉ का दूध पीने वाले बच्चों में सांस से जुडे संकमण का खतरा ७२ फीसदी कम होता है। निमोनिया,सीजनल सर्दी जुकाम, का खतरा कम रहता है। बच्चों का आईक्यू अधिक रहता है।
 मां का दूध बच्चे के लिए पहला टीका होता है।  हर मां को अपने बच्चे को कम से कम छह माह तक सिर्फ और सिर्फ  अपना ही दूध पिलाना चाहिए। यहां तक कि छह माह तक ऊपर से पानी भी नहीं पिलाना है, मां के दूध में हर वह पोषक तत्व होता है, जो बच्चे के विकास के लिए जरूरी होता है।
स्तनपान कराने से मां को लाभ
गर्भाशय का संकुचन। रक्तस्राव का खतरा कम हो जाता है। स्तन कैंसर, गर्भाशय कैंसर तथा अंडाशय कैंसर के खतरे कम हो जाते हैं। अस्टीयोपोरोसिस हड्डियों का कमजोर पड़ना के मामले कम हो जाते हैं।
दूध पिलाने का सही तरीका
स्तनपान के दौरान बच्चे का सिर स्तन से ऊंचा या 45 डिग्री के कोण में रखना चाहिए। इसीलिए बैठकर स्तनपान कराना सबसे उचित होता है। लेटकर स्तनपान कराने से कान में इंफेक्शन होने का खतरा पैदा हो सकता है। ऐसे में माताओं को इसका विशेष ध्यान रखना चाहिए। शिशु को दूध पिलाने के बाद तुरंत बिस्तर पर नहीं लिटानाचाहिए क्योंकि ऐसी स्थिति में शिशु पिया गया दूध मुंह से निकाल सकता है। दूध पिलाने के बाद उसे कंधे पर लेकर पीठ पर धीरे.धीरे हाथ फेरें। इससे बच्चे के पेट में दूध का पाचन होता है।