कृषि क्षेत्र की चुनौतियां

दी न्यूज़ एशिया समाचार सेवा।
कृषि क्षेत्र की चुनौतियां
इस बार पूरे देश में बारिश सामान्य से छह फीसद अधिक रही है, लेकिन उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, ओड़ीशा, पश्चिम बंगाल, पंजाब और मणिपुर में सामान्य से कम बरसात होने के कारण परेशानियां खड़ी हो गई हैं। इन प्रदेशों में खरीफ की खेती प्रभावित हुई है और खासकर धान उत्पादन के लक्ष्य के साथ-साथ आगामी रबी फसलों के उत्पादन संबंधी चिंताएं दिखाई दे रही हैं। गौरतलब है कि खरीफ सीजन की बुआई अंतिम दौर पर पहुंचने के बावजूद फसलों का कुल रकबा पिछले साल की अपेक्षा थोड़ा कम है। हाल ही में कृषि मंत्रालय और किसान कल्याण विभाग द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक दो सितंबर तक देश में खरीफ फसलों का कुल रकबा 1.6 फीसद घट कर 1045.14 लाख हेक्टेयर रह गया है, जबकि पिछले साल इस समय तक देश में 1061.92 लाख हेक्टेयर में फसलों की बुआई हुई थी। उल्लेखनीय है कि धान उत्पादक राज्यों में बारिश कम होने के कारण चालू खरीफ सत्र में अब तक धान फसल का रकबा 5.62 प्रतिशत घट कर 383.99 लाख हेक्टेयर रह गया है। पिछले साल धान की बुआई 406.89 लाख हेक्टेयर में की गई थी। धान मुख्य खरीफ फसल है और इसकी बुआई जून से दक्षिण-पश्चिम मानसून की शुरुआत के साथ शुरू होती है और अक्तूबर से कटाई की जाती है। लेकिन धान की फसल के विपरीत कपास की बुआई में जोरदार बढ़ोतरी हुई है। अगस्त के अंत तक देश भर में कपास का रकबा 6.81 फीसद बढ़ कर 125.69 लाख हेक्टेयर पहुंच गया, जो पिछले साल समान अविध में 117.68 लाख हेक्टेयर था। धान के अलावा चालू खरीफ सत्र में अगस्त के अंत तक 129.55 लाख हेक्टेयर के साथ दलहन की बुआई में मामूली गिरावट आई है। निश्चित रूप से इस बार देश की कृषि के सामने जो गंभीर चुनौतियां पैदा हो गई हैं, उनसे निपटने के लिए शीघ्र रणनीति बनाना जरूरी है। कई प्रदेशों में ऐसे स्थान हैं, जहां कभी कीटनाशक और यूरिया का इस्तेमाल ही नहीं किया गया है। वहां सिर्फ बारिश आधारित खेती होती है। ऐसे ब्लाक, स्थान या जिलों को चिह्नित किया जा रहा है, जिसका लाभ यह होगा कि आर्गेनिक फसल सर्टिफिकेट के लिए भूमि की तीन साल तक परीक्षण नहीं करना पड़ेगा और आर्गेनिक खेती के रकबे को बढ़ाया जा सकेगा। जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों पर विचार करके केंद्र और राज्य कैसे आगे बढ़ सकते हैं, इसका विश्लेषण कर खुद को तैयार करने की जरूरत है।